यूरोपीयन का भारत में आगमन

भारत के लिए नए समुद्री मार्ग की खोज पुर्तगाली व्यापारी वास्कोडिगामा ने 17 मई 1948 को भारत के पश्चिमी तट पर अवस्थित बंदरगाह कालीकट पहुँच कर की । वास्कोडिगामा का स्वागत कालीकट के तत्कालीन शाशक जमोरिन (यह कालीकट के शाशक की उपाधि थी) द्वारा किया गया ।

भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन

Arrival of European Companies in India
Arrival of European Companies in India

 Arrival of European Companies in India quiz

यूरोपीयन का भारत में आगमन

भारत के सामुद्रिक रास्तों की खोज 15वीं सदी के अन्त में हुई जिसके बाद यूरोपीयों का भारत आना आरंभ हुआ। यद्यपि
यूरोपीय भारत के अलावे भी बहुत स्थानों पर अपने उपनिवेश बनाने में कामयाब हुए पर इनमें से कइयों का मुख्य आकर्षण
भारत ही था। भारत में यूरोप से विदेशियों का आगमल प्राचीन काल से ही हो रहा था। यहाँ की व्यापारिक सम्पदा से
आकर्षित होकर समय-समय पर अनेक यूरोपीय जातियों का आगमन होता रहा। इसी प्रयास के अन्तर्गत कोलम्बस स्पेन से भारत
के समुद्री मार्ग की खोज में निकला और चलकर अमेरिका पहुँच गया। ‘बार्थोलेम्यू डायज’ 1487 ई. में ‘आशा अन्तरीप’
पहुँचा। 17 मई, 1498 को वास्कोडिगामा ने भारत के पश्चिमी तट पर स्थित बन्दरगाह कालीकट पहुँच कर भारत के नये
समुद्र मार्ग की खोज की थी।

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